Gujarat & Himachal Election

Gujarat Assembly Election 2022 : सभी दलो की कड़ी अग्निपरीक्षा , कौन मरेगा बाजी ?

Gujarat Election: गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी और पीएम मोदी के साख से जोड़ के देखा जा रहा है, लेकिन बीजेपी में टिकट के दावेदारों की लम्बी लिस्ट है। जो उनके लिए मजबूती का प्रतीक और परेशानी का भी सबब है. जायदा दावेदार होने से अंदुरुनी बगावत का भी डर बीजेपी को सता रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए बीजेपी रणनीति कारो ने र्यवेक्षक उम्मीदवारों को लेकर पार्टी के नेताओं से राय ले रहे हैं.

Gujarat Assembly Election 2022 : गुजरात चुनाव इस बार और दिलस्चप होने जा रहा है। क्यों की इस बार लड़ाई सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के बीच नहीं है बल्कि तीसरे दल का भी एंट्री होगई है और वो दाल है. आम आदमी पार्टी जो सत्ता तक पहुंचने के लिए पूरा जोर लगा रही। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के उतरने से चुनाव त्रिकोडी होगया हो चुनावी पंडितो का कहना है की। आम आदमी पार्टी के आने से बीजेपी को बहुत ही फयदा होगा और ये चुनाव आसानी से बीजेपी जीत जाएगी। क्योकि आम आदमी पार्टी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी।

बीजेपी के तरफ से पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित साह लगतार गुजरात चुनाव में प्रचार कर रहे है तो वही आम आदमी पार्टी से केजरीवाल दम लगा रहे है। और कांग्रेस के पूर्व कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अभीतक को भी चुनावी जनसभा नहीं की है। लेकिन कांग्रेस की तरह से नए अध्यक्ष मलिकाअर्जुन खरगे और राजस्थान सीएम अशोक गहलोत चुनावी कमान सभाल रही है।

Himachal Election : क्या हर बार सत्ता परिवर्तन का इतिहास बदल पायेगा ?

Himachal Election : साल 1985 में के बाद हुए विधानसभा चुनाव के बाद से हर पांच साल बाद सत्ता बदलने का ट्रेंड शुरू हुआ. क्या इस बार ये ट्रेंड बदलेगा? ये एक बड़ा सवाल है लेकिन ये परिस्थितिया किसी भी दल के अनुकूल नहीं दिखाई दे रही है। क्यों की यह केपूर्व सीएम और अनुराग ठाकुर के पिता प्रेम कुमार धूमल इस बार चुनावी समर में नहीं है वही आपसी गुटबाजी और बागी नेताओ ने बीजेपी के परेशानियो को और बढ़ा दी है। लेकिन वही दूसरी तरफ कांग्रेस के दिग्गज लीडर रहे दिंवगत नेता राजा वीर भद्र सिंघ की कमी कांग्रेस को खाल रही है।

प्रदेश में एक ही चरण में 12 नवंबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी. हिमाचल प्रदेश की जनता हर पांच साल में सत्ता बदल देती है. ये ट्रेंड पिछले साढ़े तीन दशकों चला आ रहा है. बीजेपी इस बार सत्ता परिवर्तन के सिलसिले को तोड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. वहीं कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष कर रही है.

हिमाचल में एक जुमला चलता है कि प्रदेश की सत्ता का रास्ता कांगड़ा से होकर जाता है. बीजेपी के लिए शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल की जोड़ी यहां हमेशा अहम रही है. शांता कुमार अब इस दुनिया म नहीं रहे और धुमल हाशिए पर हैं. कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कांगड़ा को हमेशा अहमियत देते थे

2017 के चुनाव में बीजेपी ने कांगड़ा की 15 में से 11 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की थी. इस बार हालात बदले हैं. 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 16 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लिहाजा कहा जा रहा है, जो कांगड़ा जीतेगा वहीं हिमाचल की सत्ता हासिल करेगा.

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