इस वर्ष, श्राद्ध पक्ष 2023 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक चलेगा।

पितृ पक्ष 2023: श्राद्ध तिथियों, महत्व, और आवश्यक सामग्री की सम्पूर्ण जानकारी

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पितृ पक्ष, हिन्दू धर्म में पितरों की पूजा और उनकी आत्मा को शांति देने का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि से आरंभ होता है और अश्विन मास के अमावस्या तिथि तक चलता है। इस वर्ष, श्राद्ध पक्ष 2023 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक चलेगा।

पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियाँ (Shraddh Dates) पंचांग और ज्योतिष के अनुसार निर्धारित की जाती हैं और इन तिथियों पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। निम्नलिखित हैं 2023 में पितृ पक्ष की कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ:

पूर्णिमा – 29 सितंबर 2023
प्रतिपदा – 30 सितंबर 2023
द्वितीया – 1अक्टूबर2023
तृतीया – 2अक्टूबर 2023,
चतुर्थी – 3 अक्टूबर 2023,
पंचमी – 4 अक्टूबर 2023,
षष्ठी – 5 अक्टूबर 2023,
सप्तमी – 6 अक्टूबर 2023
अष्टमी – 7 अक्टूबर 2023
नवमी – 8 अक्टूबर 2023
दशमी – 9 अक्टूबर 2023
एकादशी -10 अक्टूबर 2023
द्वादशी – 11 अक्टूबर 2023
त्रयोदशी- 12 अक्टूबर 2023
चतुर्दशी – 13 अक्टूबर 2023

यह तिथियाँ पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म के लिए महत्वपूर्ण होती हैं, और लोग इन दिनों पूर्वजों की आत्मा को याद करते हैं और उन्हें श्राद्ध अर्पित करते हैं। इसके अलावा, अमावस्या तिथि, जिसे महलया अमावस्या भी कहते हैं, भी बहुत महत्वपूर्ण होती है और इस दिन भी श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।

श्राद्ध का महत्व: श्राद्ध का महत्व अत्यधिक होता है, क्योंकि इसके माध्यम से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रेतलोक में सुखद रूप से आश्रम लेते हैं। इस पेरियड के दौरान लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धा और भक्ति से याद करते हैं और उनके आत्मा को आशीर्वाद देते हैं।

श्राद्ध विधि:

● श्राद्ध के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए पिंड का निर्माण किया जाता है, जो पितरों को
प्रसन्न करने के लिए बनाया जाता है।
● श्राद्ध कर्म के दौरान पितरों के नाम पर अन्न और दान किए जाते हैं।
● श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें दान दिया जाता है।
● श्राद्ध के दौरान पितरों की प्रार्थना की जाती है और उन्हें श्राद्ध का प्रसाद भेजा जाता है।

श्राद्ध सामग्री:
● पितृ पक्ष के दौरान दान करने के लिए अन्न, धान्य, घी, मिष्ठान, फल, और द्रव्य की आवश्यकता
होती है।
● श्राद्ध के अवसर पर कुछ विशेष खास प्रकार के पिंड और तिल के लड्डू तैयार किए जाते हैं।
● इसके अलावा, गंगा जल का उपयोग भी पितृ पक्ष में शुद्धि के लिए किया जाता है।

इस पितृ पक्ष में, हमें हमारे पूर्वजों का सम्मान करना और उनके आत्मा को शांति देना बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक मानवता का संदेश है कि हम अपने मूलों को नहीं भूलते और उनका आभारी रहते हैं। इस पितृ पक्ष, हम सभी को अपने पूर्वजों के प्रति अपनी सजगता और समर्पण का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है।

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